विधिक चेतना समिति ( अधिनियम संख्या-२१,१८६० के अंतर्गत पंजीकरण संख्या-९८२/२०१३-२०१४ पर सोसाइटी के रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश शासन से विधिवत पंजीकृत तथा भारत सरकार के योजना आयोग से यूनिक आइ डी संख्या-यू० पी ० /२०१३ /००६९००६ प्राप्त समिति ) कार्यालय- चेंबर-47, कलेक्टरेट एटा पिन-२०७००१ website-http://vidhikchetana.blogspot.com
सोमवार, 12 अप्रैल 2021
बुधवार, 14 अक्टूबर 2020
मंगलवार, 5 नवंबर 2019
इतेंद्र उम्र करीब 43 साल पुत्र श्री हेम सिंह निवासी मकान नं0-3503 मौहल्ला बौगड़ा वार्ड नं0-14 जलंधर जिला जलंधर पंजाव एवं गीता उम्र करीब 30 वर्ष पुत्री श्री नाथूराम निवासी नगला घनश्याम पोस्ट गिरौरा थाना कोतवाली देहात जिला एटा का आवेदन
VIDHIK CHETANA SAMITI
(Consultation & Reconciliation Centre)
विधिक चेतना समिति, अधिनियम संख्या-21,1860 के अन्तर्गत पंजीकरण संख्या-982/2013-14 पर विधिवत पंजीकृत
कार्यालय-चैम्बर नं0 47, कलक्ट्रेट एटा पिन-207001
प्रकरण संख्या- इतेंद्र एवं गीता /2019
दिनांक 05-11-2019 को इस समिति में इतेंद्र उम्र करीब 43 साल पुत्र श्री हेम सिंह निवासी मकान नं0-3503 मौहल्ला बौगड़ा वार्ड नं0-14 जलंधर जिला जलंधर पंजाव एवं गीता उम्र करीब 30 वर्ष पुत्री श्री नाथूराम निवासी नगला घनश्याम पोस्ट गिरौरा थाना कोतवाली देहात जिला एटा का आवेदन उनके अधिवक्ता अभिनाश कुमार पंजीकरण संख्या 02205 सन 2017 कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन एटा द्वारा समिति में प्रस्तुत किया। जिसमें समिति को अवगत कराया कि उनके मुवक्किलों द्वारा आपसी रजामंदी से मंदिर में पुनर्विवाह विवाह कर लिया है। जिसका 02 नवंबर 2019 को एटा कचहरी पर अनुबंध भी बनवा लिया है। आवेदकों के इस विवाह से उनके परिवार के लोग बहुत नाराज है, वे लोग उनके विरुद्व ऑनर किलिंग या अन्य कोई गम्भीर घटना करा सकते है, इसलिये उन्होंने इस समिति से सहायता की मांग की। प्रकरण में आवेदकों के पक्ष में माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली की विधि व्यवस्थायें व मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेशों को अवलोकित किया गया।
जिसके मुताबिक यदि विवाह के समय आवेदक कानून द्वारा निर्धारित आयु प्राप्त कर चुके थे तो उन्हें सहायता देने हेतु प्रयास किया जाना उचित होगा, क्योंकि लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2006, एएलडी (क्रि0)-2-230 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने होल्ड किया है कि-” If any boy or girl who is a major undergoes inter-caste or inter religious marriages with a woman or man, who is major, the couple will not be harassed by anyone nor subjected to threats or acts of violence and anyone who gives such threats or harasses or commits acts of violence either himself or at his instigation, is taken to task by instituting criminal proceedings by the police against such persons and further stern action is taken against such persons as provided by law. The Apex Court further held that the police at all the concerned places should ensure that neither the petitioner nor her husband nor any relatives of the petitioners husband are harassed or threatened nor any acts of violence are committed against them. If anybody is found doing so, he should be proceeded against sternly in accordance with law by the authorities concerned.”
वहीं The Apex Court in the case of D. Velusamy Vs D. Patchaiammal (2010) 10 SCC-469 has even recognized live-in relationship between a man and woman in the nature of marriage.
श्रीमती नन्दनी व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य 2013 (1) एडीजे 591 में मा0 उच्च न्यायालय ने होल्ड किया है कि-where parties to the marriage are adults and have chosen to live together as husband and wife, police is required to give protection.
आवेदकों ने अपनी ऑनर किलिंग व झूठे मामलों में फंसाए जाने की सम्भावना व्यक्त की गई है, और समिति के सहायता चाही है। ऐसी परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये आवेदकों की जानमाल की सुरक्षा हेतु भारतीय संविधान व मा0 सुप्रीम कोर्ट व मा0 उच्च न्यायालय की विधि व्यवस्थाओं व उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या- 1440/छः-पु-3/ 2007-28पी/2007 के प्रकाश में सम्बन्धित सक्षम अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इस कार्यवाही की प्रति अग्रसारित की जाती है तथा पंजीकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही शासन के सम्बन्धित रजिस्ट्रार के कार्यालय में कराने हेतु आवेदकों से अपेक्षा की जाती है।
आवेदकों के फोटो सैक्रेटरी
-----------
हस्ताक्षर आवेदकगण/प्रतिनिधि
प्रतिलिपिः.
1. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एटा
2. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जलंधर पंजाब
(Consultation & Reconciliation Centre)
विधिक चेतना समिति, अधिनियम संख्या-21,1860 के अन्तर्गत पंजीकरण संख्या-982/2013-14 पर विधिवत पंजीकृत
कार्यालय-चैम्बर नं0 47, कलक्ट्रेट एटा पिन-207001
प्रकरण संख्या- इतेंद्र एवं गीता /2019
दिनांक 05-11-2019 को इस समिति में इतेंद्र उम्र करीब 43 साल पुत्र श्री हेम सिंह निवासी मकान नं0-3503 मौहल्ला बौगड़ा वार्ड नं0-14 जलंधर जिला जलंधर पंजाव एवं गीता उम्र करीब 30 वर्ष पुत्री श्री नाथूराम निवासी नगला घनश्याम पोस्ट गिरौरा थाना कोतवाली देहात जिला एटा का आवेदन उनके अधिवक्ता अभिनाश कुमार पंजीकरण संख्या 02205 सन 2017 कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन एटा द्वारा समिति में प्रस्तुत किया। जिसमें समिति को अवगत कराया कि उनके मुवक्किलों द्वारा आपसी रजामंदी से मंदिर में पुनर्विवाह विवाह कर लिया है। जिसका 02 नवंबर 2019 को एटा कचहरी पर अनुबंध भी बनवा लिया है। आवेदकों के इस विवाह से उनके परिवार के लोग बहुत नाराज है, वे लोग उनके विरुद्व ऑनर किलिंग या अन्य कोई गम्भीर घटना करा सकते है, इसलिये उन्होंने इस समिति से सहायता की मांग की। प्रकरण में आवेदकों के पक्ष में माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली की विधि व्यवस्थायें व मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेशों को अवलोकित किया गया।
जिसके मुताबिक यदि विवाह के समय आवेदक कानून द्वारा निर्धारित आयु प्राप्त कर चुके थे तो उन्हें सहायता देने हेतु प्रयास किया जाना उचित होगा, क्योंकि लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2006, एएलडी (क्रि0)-2-230 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने होल्ड किया है कि-” If any boy or girl who is a major undergoes inter-caste or inter religious marriages with a woman or man, who is major, the couple will not be harassed by anyone nor subjected to threats or acts of violence and anyone who gives such threats or harasses or commits acts of violence either himself or at his instigation, is taken to task by instituting criminal proceedings by the police against such persons and further stern action is taken against such persons as provided by law. The Apex Court further held that the police at all the concerned places should ensure that neither the petitioner nor her husband nor any relatives of the petitioners husband are harassed or threatened nor any acts of violence are committed against them. If anybody is found doing so, he should be proceeded against sternly in accordance with law by the authorities concerned.”
वहीं The Apex Court in the case of D. Velusamy Vs D. Patchaiammal (2010) 10 SCC-469 has even recognized live-in relationship between a man and woman in the nature of marriage.
श्रीमती नन्दनी व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य 2013 (1) एडीजे 591 में मा0 उच्च न्यायालय ने होल्ड किया है कि-where parties to the marriage are adults and have chosen to live together as husband and wife, police is required to give protection.
आवेदकों ने अपनी ऑनर किलिंग व झूठे मामलों में फंसाए जाने की सम्भावना व्यक्त की गई है, और समिति के सहायता चाही है। ऐसी परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये आवेदकों की जानमाल की सुरक्षा हेतु भारतीय संविधान व मा0 सुप्रीम कोर्ट व मा0 उच्च न्यायालय की विधि व्यवस्थाओं व उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या- 1440/छः-पु-3/ 2007-28पी/2007 के प्रकाश में सम्बन्धित सक्षम अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इस कार्यवाही की प्रति अग्रसारित की जाती है तथा पंजीकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही शासन के सम्बन्धित रजिस्ट्रार के कार्यालय में कराने हेतु आवेदकों से अपेक्षा की जाती है।
आवेदकों के फोटो सैक्रेटरी
-----------
हस्ताक्षर आवेदकगण/प्रतिनिधि
प्रतिलिपिः.
1. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एटा
2. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जलंधर पंजाब
पुष्पेंद्र कश्यप उम्र करीब 24 साल पुत्र श्री राजेंद्र निवासी मौ. हाजीपुरा एटा थाना कोतवाली नगर एटा जिला एटा एवं रश्मी उम्र करीब 21 साल पुत्री श्री कमलेश कुमार निवासी मौ. हाजीपुरा शिकोहाबाद मार्ग एटा थाना कोतवाली नगर एटा जिला एटा का आवेदन
VIDHIK CHETANA SAMITI
(Consultation & Reconciliation Centre)
विधिक चेतना समिति, अधिनियम संख्या-21,1860 के अन्तर्गत पंजीकरण संख्या-982/2013-14 पर विधिवत पंजीकृत
कार्यालय-चैम्बर नं0 47, कलक्ट्रेट एटा पिन-207001
प्रकरण संख्या-पुष्पेंद्र कश्यप एवं रश्मी/2019
दिनांक 05-11-2019 को इस समिति में पुष्पेंद्र कश्यप उम्र करीब 24 साल पुत्र श्री राजेंद्र निवासी मौ. हाजीपुरा एटा थाना कोतवाली नगर एटा जिला एटा एवं रश्मी उम्र करीब 21 साल पुत्री श्री कमलेश कुमार निवासी मौ. हाजीपुरा शिकोहाबाद मार्ग एटा थाना कोतवाली नगर एटा जिला एटा का आवेदन उनके अधिवक्ता सुबोध कुमार वर्मा पंजीकरण संख्या-2625/2013 कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन एटा द्वारा समिति में प्रस्तुत किया। जिसमें समिति को अवगत कराया कि उनके मुवक्किलों द्वारा आपसी रजामंदी से एक साल पूर्व विवाह कर लिया है। जिसका 01 नवंबर 2019 को एटा कचहरी पर अनुबंध भी बनवा लिया है। आवेदकों के इस विवाह से उनके परिवार के लोग बहुत नाराज है, वे लोग उनके विरुद्व ऑनर किलिंग या अन्य कोई गम्भीर घटना करा सकते है, इसलिये उन्होंने इस समिति से सहायता की मांग की। प्रकरण में आवेदकों के पक्ष में माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली की विधि व्यवस्थायें व मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेशों को अवलोकित किया गया।
जिसके मुताबिक यदि विवाह के समय आवेदक कानून द्वारा निर्धारित आयु प्राप्त कर चुके थे तो उन्हें सहायता देने हेतु प्रयास किया जाना उचित होगा, क्योंकि लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2006, एएलडी (क्रि0)-2-230 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने होल्ड किया है कि-” If any boy or girl who is a major undergoes inter-caste or inter religious marriages with a woman or man, who is major, the couple will not be harassed by anyone nor subjected to threats or acts of violence and anyone who gives such threats or harasses or commits acts of violence either himself or at his instigation, is taken to task by instituting criminal proceedings by the police against such persons and further stern action is taken against such persons as provided by law. The Apex Court further held that the police at all the concerned places should ensure that neither the petitioner nor her husband nor any relatives of the petitioners husband are harassed or threatened nor any acts of violence are committed against them. If anybody is found doing so, he should be proceeded against sternly in accordance with law by the authorities concerned.”
वहीं The Apex Court in the case of D. Velusamy Vs D. Patchaiammal (2010) 10 SCC-469 has even recognized live-in relationship between a man and woman in the nature of marriage.
श्रीमती नन्दनी व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य 2013 (1) एडीजे 591 में मा0 उच्च न्यायालय ने होल्ड किया है कि-where parties to the marriage are adults and have chosen to live together as husband and wife, police is required to give protection.
आवेदकों ने अपनी ऑनर किलिंग व झूठे मामलों में फंसाए जाने की सम्भावना व्यक्त की गई है, और समिति के सहायता चाही है। ऐसी परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये आवेदकों की जानमाल की सुरक्षा हेतु भारतीय संविधान व मा0 सुप्रीम कोर्ट व मा0 उच्च न्यायालय की विधि व्यवस्थाओं व उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या- 1440/छः-पु-3/ 2007-28पी/2007 के प्रकाश में सम्बन्धित सक्षम अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इस कार्यवाही की प्रति अग्रसारित की जाती है तथा पंजीकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही शासन के सम्बन्धित रजिस्ट्रार के कार्यालय में कराने हेतु आवेदकों से अपेक्षा की जाती है।
आवेदकों के फोटो सैक्रेटरी
-----------
हस्ताक्षर आवेदकगण/प्रतिनिधि
प्रतिलिपिः.
1. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एटा
(Consultation & Reconciliation Centre)
विधिक चेतना समिति, अधिनियम संख्या-21,1860 के अन्तर्गत पंजीकरण संख्या-982/2013-14 पर विधिवत पंजीकृत
कार्यालय-चैम्बर नं0 47, कलक्ट्रेट एटा पिन-207001
प्रकरण संख्या-पुष्पेंद्र कश्यप एवं रश्मी/2019
दिनांक 05-11-2019 को इस समिति में पुष्पेंद्र कश्यप उम्र करीब 24 साल पुत्र श्री राजेंद्र निवासी मौ. हाजीपुरा एटा थाना कोतवाली नगर एटा जिला एटा एवं रश्मी उम्र करीब 21 साल पुत्री श्री कमलेश कुमार निवासी मौ. हाजीपुरा शिकोहाबाद मार्ग एटा थाना कोतवाली नगर एटा जिला एटा का आवेदन उनके अधिवक्ता सुबोध कुमार वर्मा पंजीकरण संख्या-2625/2013 कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन एटा द्वारा समिति में प्रस्तुत किया। जिसमें समिति को अवगत कराया कि उनके मुवक्किलों द्वारा आपसी रजामंदी से एक साल पूर्व विवाह कर लिया है। जिसका 01 नवंबर 2019 को एटा कचहरी पर अनुबंध भी बनवा लिया है। आवेदकों के इस विवाह से उनके परिवार के लोग बहुत नाराज है, वे लोग उनके विरुद्व ऑनर किलिंग या अन्य कोई गम्भीर घटना करा सकते है, इसलिये उन्होंने इस समिति से सहायता की मांग की। प्रकरण में आवेदकों के पक्ष में माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली की विधि व्यवस्थायें व मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेशों को अवलोकित किया गया।
जिसके मुताबिक यदि विवाह के समय आवेदक कानून द्वारा निर्धारित आयु प्राप्त कर चुके थे तो उन्हें सहायता देने हेतु प्रयास किया जाना उचित होगा, क्योंकि लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2006, एएलडी (क्रि0)-2-230 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने होल्ड किया है कि-” If any boy or girl who is a major undergoes inter-caste or inter religious marriages with a woman or man, who is major, the couple will not be harassed by anyone nor subjected to threats or acts of violence and anyone who gives such threats or harasses or commits acts of violence either himself or at his instigation, is taken to task by instituting criminal proceedings by the police against such persons and further stern action is taken against such persons as provided by law. The Apex Court further held that the police at all the concerned places should ensure that neither the petitioner nor her husband nor any relatives of the petitioners husband are harassed or threatened nor any acts of violence are committed against them. If anybody is found doing so, he should be proceeded against sternly in accordance with law by the authorities concerned.”
वहीं The Apex Court in the case of D. Velusamy Vs D. Patchaiammal (2010) 10 SCC-469 has even recognized live-in relationship between a man and woman in the nature of marriage.
श्रीमती नन्दनी व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य 2013 (1) एडीजे 591 में मा0 उच्च न्यायालय ने होल्ड किया है कि-where parties to the marriage are adults and have chosen to live together as husband and wife, police is required to give protection.
आवेदकों ने अपनी ऑनर किलिंग व झूठे मामलों में फंसाए जाने की सम्भावना व्यक्त की गई है, और समिति के सहायता चाही है। ऐसी परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये आवेदकों की जानमाल की सुरक्षा हेतु भारतीय संविधान व मा0 सुप्रीम कोर्ट व मा0 उच्च न्यायालय की विधि व्यवस्थाओं व उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या- 1440/छः-पु-3/ 2007-28पी/2007 के प्रकाश में सम्बन्धित सक्षम अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इस कार्यवाही की प्रति अग्रसारित की जाती है तथा पंजीकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही शासन के सम्बन्धित रजिस्ट्रार के कार्यालय में कराने हेतु आवेदकों से अपेक्षा की जाती है।
आवेदकों के फोटो सैक्रेटरी
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हस्ताक्षर आवेदकगण/प्रतिनिधि
प्रतिलिपिः.
1. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एटा
बुधवार, 30 अक्टूबर 2019
अशोक कुमार उम्र करीब 21 वर्ष पुत्र श्री सूबेदार सिंह निवासी गांव सउआपुर थाना सकीट जिला एटा व उषा देवी उम्र करीब 43 वर्ष पुत्री देवबल्लभ निवासी अकबरपुर कंसोपुर जिला पटना बिहार का आवेदन
VIDHIK CHETANA SAMITI
Registered under the Societies Registration Act 1860
In Government of Uttar Predesh
पंजीकरण संख्या-982/2013-14
कार्यालय -चैंबर नं0 47, कलक्ट्रेट, एटा पिन-207001
आवेदकों के फोटो
1 आवेदक का नाम व पता -अशोक कुमार उम्र करीब 21 वर्ष पुत्र श्री सूबेदार सिंह निवासी गांव सउआपुर थाना सकीट जिला एटा
2आवेदिका का नाम व पता- उषा देवी उम्र करीब 43 वर्ष पुत्री देवबल्लभ निवासी अकबरपुर कंसोपुर जिला पटना बिहार
3विवाह की तारीख-21 अक्टूबर 2019 को एटा कचहरी पर बने अनुबंध पत्र के अनुसार एक वर्ष पूर्व हुआ पुनर्विवाह
4 समिति में आवेदन की तारीख- 21 अक्टूबर 2019
5समिति में आवेदन का कारण-सुरक्षा कराने हेतु
6समिति द्वारा की गई कार्यवाही- समिति में प्रस्तुत आवेदन पर आवेदकों की सुरक्षा के लिए संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधिकारी को कार्यवाही की प्रति अग्रसारित की गई
उपरोक्त आवेदकों का आवेदन समिति की केंद्रीय अधिनियम के अंतर्गत दर्ज हुई समिति की नियमावली के नियमों के अंतर्गत दर्ज किया गया तथा उस पर हुई कार्यवाही के प्रमाण में यह कार्यवाही संबंधी प्रपत्र निर्गत किया जाता है।
दिनांक-21 अक्टूबर 2019 सैक्रेटरी
VIDHIK CHETANA SAMITI
(Consultation & Reconciliation Centre)
विधिक चेतना समिति, अधिनियम संख्या-21,1860 के अन्तर्गत पंजीकरण संख्या-982/2013-14 पर विधिवत पंजीकृत
कार्यालय-चैम्बर नं0 47, कलक्ट्रेट एटा पिन-207001
प्रकरण संख्या- अशोक एवं उषा देवी /2019
दिनांक 20-10-2019 को समिति में अशोक कुमार उम्र करीब 21 वर्ष पुत्र श्री सूबेदार सिंह निवासी गांव सउआपुर थाना सकीट जिला एटा व उषा देवी उम्र करीब 43 वर्ष पुत्री देवबल्लभ निवासी अकबरपुर कंसोपुर जिला पटना बिहार का आवेदन उनके अधिवक्ता सुबोध कुमार वर्मा पंजीकरण संख्या-2625/2013 कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन एटा द्वारा समिति में प्रस्तुत किया। जिसमें समिति को अवगत कराया कि उनके द्वारा आपसी रजामंदी से दिनांक- एक साल पूर्व पुनर्विवाह कर लिया है। जिसका आज एटा कचहरी पर अनुबंध भी बनवा लिया है। आवेदकों के इस विवाह से उनके परिवार के लोग बहुत नाराज है, वे लोग उनके विरुद्व ऑनर किलिंग या अन्य कोई गम्भीर घटना करा सकते है, इसलिये उन्होंने इस समिति से सहायता की मांग की। प्रकरण में आवेदकों के पक्ष में माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली की विधि व्यवस्थायें व मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेशों को अवलोकित किया गया।
ऐसे में जब विवाह के समय कानून द्वारा निर्धारित आयु प्राप्त कर चुके थे तो उन्हें सहायता देने हेतु प्रयास किया जाना उचित होगा, क्योंकि लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2006, एएलडी (क्रि0)-2-230 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने होल्ड किया है कि-” If any boy or girl who is a major undergoes inter-caste or inter religious marriages with a woman or man, who is major, the couple will not be harassed by anyone nor subjected to threats or acts of violence and anyone who gives such threats or harasses or commits acts of violence either himself or at his instigation, is taken to task by instituting criminal proceedings by the police against such persons and further stern action is taken against such persons as provided by law. The Apex Court further held that the police at all the concerned places should ensure that neither the petitioner nor her husband nor any relatives of the petitioners husband are harassed or threatened nor any acts of violence are committed against them. If anybody is found doing so, he should be proceeded against sternly in accordance with law by the authorities concerned.”
वहीं The Apex Court in the case of D. Velusamy Vs D. Patchaiammal (2010) 10 SCC-469 has even recognized live-in relationship between a man and woman in the nature of marriage.
श्रीमती नन्दनी व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य 2013 (1) एडीजे 591 में मा0 उच्च न्यायालय ने होल्ड किया है कि-where parties to the marriage are adults and have chosen to live together as husband and wife, police is required to give protection.
आवेदकों ने अपनी ऑनर किलिंग व झूठे मामलों में फंसाए जाने की सम्भावना व्यक्त की गई है, और समिति के सहायता चाही है। ऐसी परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये आवेदकों की जानमाल की सुरक्षा हेतु भारतीय संविधान व मा0 सुप्रीम कोर्ट व मा0 उच्च न्यायालय की विधि व्यवस्थाओं व उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या- 1440/छः-पु-3/ 2007-28पी/2007 के प्रकाश में सम्बन्धित सक्षम अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इस कार्यवाही की प्रति अग्रसारित की जाती है तथा पंजीकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही शासन के सम्बन्धित रजिस्ट्रार के कार्यालय में कराने हेतु आवेदकों से अपेक्षा की जाती है।
आवेदकों के फोटो सैक्रेटरी
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हस्ताक्षर आवेदकगण/प्रतिनिधि
प्रतिलिपिः.
1. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एटा
2. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पटना
Registered under the Societies Registration Act 1860
In Government of Uttar Predesh
पंजीकरण संख्या-982/2013-14
कार्यालय -चैंबर नं0 47, कलक्ट्रेट, एटा पिन-207001
आवेदकों के फोटो
1 आवेदक का नाम व पता -अशोक कुमार उम्र करीब 21 वर्ष पुत्र श्री सूबेदार सिंह निवासी गांव सउआपुर थाना सकीट जिला एटा
2आवेदिका का नाम व पता- उषा देवी उम्र करीब 43 वर्ष पुत्री देवबल्लभ निवासी अकबरपुर कंसोपुर जिला पटना बिहार
3विवाह की तारीख-21 अक्टूबर 2019 को एटा कचहरी पर बने अनुबंध पत्र के अनुसार एक वर्ष पूर्व हुआ पुनर्विवाह
4 समिति में आवेदन की तारीख- 21 अक्टूबर 2019
5समिति में आवेदन का कारण-सुरक्षा कराने हेतु
6समिति द्वारा की गई कार्यवाही- समिति में प्रस्तुत आवेदन पर आवेदकों की सुरक्षा के लिए संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधिकारी को कार्यवाही की प्रति अग्रसारित की गई
उपरोक्त आवेदकों का आवेदन समिति की केंद्रीय अधिनियम के अंतर्गत दर्ज हुई समिति की नियमावली के नियमों के अंतर्गत दर्ज किया गया तथा उस पर हुई कार्यवाही के प्रमाण में यह कार्यवाही संबंधी प्रपत्र निर्गत किया जाता है।
दिनांक-21 अक्टूबर 2019 सैक्रेटरी
VIDHIK CHETANA SAMITI
(Consultation & Reconciliation Centre)
विधिक चेतना समिति, अधिनियम संख्या-21,1860 के अन्तर्गत पंजीकरण संख्या-982/2013-14 पर विधिवत पंजीकृत
कार्यालय-चैम्बर नं0 47, कलक्ट्रेट एटा पिन-207001
प्रकरण संख्या- अशोक एवं उषा देवी /2019
दिनांक 20-10-2019 को समिति में अशोक कुमार उम्र करीब 21 वर्ष पुत्र श्री सूबेदार सिंह निवासी गांव सउआपुर थाना सकीट जिला एटा व उषा देवी उम्र करीब 43 वर्ष पुत्री देवबल्लभ निवासी अकबरपुर कंसोपुर जिला पटना बिहार का आवेदन उनके अधिवक्ता सुबोध कुमार वर्मा पंजीकरण संख्या-2625/2013 कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन एटा द्वारा समिति में प्रस्तुत किया। जिसमें समिति को अवगत कराया कि उनके द्वारा आपसी रजामंदी से दिनांक- एक साल पूर्व पुनर्विवाह कर लिया है। जिसका आज एटा कचहरी पर अनुबंध भी बनवा लिया है। आवेदकों के इस विवाह से उनके परिवार के लोग बहुत नाराज है, वे लोग उनके विरुद्व ऑनर किलिंग या अन्य कोई गम्भीर घटना करा सकते है, इसलिये उन्होंने इस समिति से सहायता की मांग की। प्रकरण में आवेदकों के पक्ष में माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली की विधि व्यवस्थायें व मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेशों को अवलोकित किया गया।
ऐसे में जब विवाह के समय कानून द्वारा निर्धारित आयु प्राप्त कर चुके थे तो उन्हें सहायता देने हेतु प्रयास किया जाना उचित होगा, क्योंकि लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2006, एएलडी (क्रि0)-2-230 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने होल्ड किया है कि-” If any boy or girl who is a major undergoes inter-caste or inter religious marriages with a woman or man, who is major, the couple will not be harassed by anyone nor subjected to threats or acts of violence and anyone who gives such threats or harasses or commits acts of violence either himself or at his instigation, is taken to task by instituting criminal proceedings by the police against such persons and further stern action is taken against such persons as provided by law. The Apex Court further held that the police at all the concerned places should ensure that neither the petitioner nor her husband nor any relatives of the petitioners husband are harassed or threatened nor any acts of violence are committed against them. If anybody is found doing so, he should be proceeded against sternly in accordance with law by the authorities concerned.”
वहीं The Apex Court in the case of D. Velusamy Vs D. Patchaiammal (2010) 10 SCC-469 has even recognized live-in relationship between a man and woman in the nature of marriage.
श्रीमती नन्दनी व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य 2013 (1) एडीजे 591 में मा0 उच्च न्यायालय ने होल्ड किया है कि-where parties to the marriage are adults and have chosen to live together as husband and wife, police is required to give protection.
आवेदकों ने अपनी ऑनर किलिंग व झूठे मामलों में फंसाए जाने की सम्भावना व्यक्त की गई है, और समिति के सहायता चाही है। ऐसी परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये आवेदकों की जानमाल की सुरक्षा हेतु भारतीय संविधान व मा0 सुप्रीम कोर्ट व मा0 उच्च न्यायालय की विधि व्यवस्थाओं व उत्तर प्रदेश शासन के शासनादेश संख्या- 1440/छः-पु-3/ 2007-28पी/2007 के प्रकाश में सम्बन्धित सक्षम अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इस कार्यवाही की प्रति अग्रसारित की जाती है तथा पंजीकरण हेतु आवश्यक कार्यवाही शासन के सम्बन्धित रजिस्ट्रार के कार्यालय में कराने हेतु आवेदकों से अपेक्षा की जाती है।
आवेदकों के फोटो सैक्रेटरी
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हस्ताक्षर आवेदकगण/प्रतिनिधि
प्रतिलिपिः.
1. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एटा
2. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पटना
शुक्रवार, 24 मई 2019
आवेदक ने जानमाल की सुरक्षा के लिए मैटर हटाने का अनुरोध किया। जिस पर मैटर हटाया जा रहा है।
बुधवार, 22 मई 2019
जितेंद्र कुमार उम्र 28 वर्ष पुत्र श्री दंगल सिंह निवासी नगला उदई थाना हसायन जिला हाथरस व अंकेश देवी उम्र 27 वर्ष पत्नी श्री जितेंद्र कुमार पुत्री श्री किशनपाल निवासी मोहनीपुरा थाना जसराना जिला फीरोजाबाद
VIDHIK
CHETANA SAMITI
(Consultation
& Reconciliation Centre)
विधिक
चेतना
समिति,
अधिनियम
संख्या-21,1860
के
अन्तर्गत
पंजीकरण
संख्या-982/2013-14
पर
विधिवत
पंजीकृत
कार्यालय-चैम्बर
नं0
47, कलक्ट्रेट
एटा
पिन-207001
प्रकरण
संख्या- जितेंद्र
कुमार व अंकेश देवी
/2019
दिनांक
11-05-2019
को
समिति
में जितेंद्र कुमार उम्र 28 वर्ष पुत्र श्री दंगल सिंह निवासी नगला उदई थाना हसायन जिला हाथरस व अंकेश देवी उम्र 27 वर्ष पत्नी श्री जितेंद्र कुमार पुत्री श्री किशनपाल निवासी मोहनीपुरा थाना जसराना जिला फीरोजाबाद की ओर से उनके अधिवक्ता राजकुमार यादव एटा ने आवेदन करते हुए समिति
को
अवगत
कराया
कि
उनके मुवक्किलों
द्वारा आपसी रजामंदी से दिनांक- 15 जनवरी 2019 को
विवाह
कर
लिया
है।
जिससे
उनके
परिवार
के
लोग
बहुत
नाराज
है,
वे
लोग
उनके
विरुद्व
ऑनर
किलिंग
या
अन्य
कोई
गम्भीर
घटना
करा
सकते
है,
इसलिये
उन्होंने
इस
समिति
से
सहायता
की
मांग
की।
प्रकरण
में
आवेदकों
का
पक्ष
जाना
तथा
माननीय
उच्चतम
न्यायालय
नई
दिल्ली
की
विधि
व्यवस्थायें
व
मा0
उच्च
न्यायालय
इलाहाबाद
के
आदेशों
को
अवलोकित
किया
गया।
ऐसे
में
जब
विवाह
के
समय
कानून
द्वारा
निर्धारित
आयु
प्राप्त
कर
चुके
थे
तो
उन्हें
सहायता
देने
हेतु
प्रयास
किया
जाना
उचित
होगा,
क्योंकि
लता
सिंह
बनाम
उत्तर
प्रदेश
राज्य
2006,
एएलडी
(क्रि0)-2-230
में
माननीय
उच्चतम
न्यायालय
ने
होल्ड
किया
है
कि-”
If any boy or girl who is a major undergoes inter-caste or inter
religious marriages with a woman or man, who is major, the couple
will not be harassed by anyone nor subjected to threats or acts of
violence and anyone who gives such threats or harasses or commits
acts of violence either himself or at his instigation, is taken to
task by instituting criminal proceedings by the police against such
persons and further stern action is taken against such persons as
provided by law. The Apex Court further held that the police at all
the concerned places should ensure that neither the petitioner nor
her husband nor any relatives of the petitioners husband are harassed
or threatened nor any acts of violence are committed against them. If
anybody is found doing so, he should be proceeded against sternly in
accordance with law by the authorities concerned.”
वहीं
The
Apex Court in the case of D. Velusamy Vs D. Patchaiammal (2010) 10
SCC-469 has even recognized live-in relationship between a man and
woman in the nature of marriage.
श्रीमती
नन्दनी
व
अन्य
बनाम
उत्तर
प्रदेश
राज्य
व
अन्य
2013
(1) एडीजे
591
में
मा0
उच्च
न्यायालय
ने
होल्ड
किया
है
कि-where
parties to the marriage are adults and have chosen to live together
as husband and wife, police is required to give protection.
आवेदकों
ने
अपनी
ऑनर
किलिंग
व
झूठे
मामलों
में
फंसाए
जाने
की
सम्भावना
व्यक्त
की
गई
है,
और
समिति
के
सहायता
चाही
है।
ऐसी
परिस्थितियों
को
दृष्टिगत
रखते
हुये
आवेदकों
की
जानमाल
की
सुरक्षा
हेतु
भारतीय
संविधान
व
मा0
सुप्रीम
कोर्ट
व
मा0
उच्च
न्यायालय
की
विधि
व्यवस्थाओं
व
उत्तर
प्रदेश
शासन
के
शासनादेश
संख्या-
1440/छः-पु-3/
2007-28पी/2007
के
प्रकाश
में
सम्बन्धित
सक्षम
अधिकारी
वरिष्ठ
पुलिस
अधीक्षक
को
इस
कार्यवाही
की
प्रति
अग्रसारित
की
जाती
है
तथा
पंजीकरण
हेतु
आवश्यक
कार्यवाही
शासन
के
सम्बन्धित
रजिस्ट्रार
के
कार्यालय
में
कराने
हेतु
आवेदकों
से
अपेक्षा
की
जाती
है।
आवेदकों
के
फोटो सैक्रेटरी
-----------
प्रतिलिपिः-
1- पुलिस अधीक्षक हाथरस
2- पुलिस अधीक्षक फीरोजाबाद
2- पुलिस अधीक्षक फीरोजाबाद
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